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कैसे नेहरू जी की दृष्टिकोण ने लक्ष्मी को भारत के एक प्रतिष्ठित सौंदर्य ब्रांड, लैक्मे में परिवर्तित किया 

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Updated On: 14 Nov 2023

कैसे नेहरू जी की दृष्टिकोण ने लक्ष्मी को भारत के एक प्रतिष्ठित सौंदर्य ब्रांड, लैक्मे में परिवर्तित किया 

एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

टाटा ग्रुप का स्किन केयर और सौंदर्य प्रसाधन उद्योग में मुख्य प्रवेश, लैक्मे के द्वारा था, जिसे जे.आर.डी. टाटा की अध्यक्षता के दौरान स्थापित किया गया था। इसके अलावा, लैक्मे भारत की स्वतंत्रता प्राप्त होने के बाद स्थापित पहला सौंदर्य ब्रांड है। लेकिन क्या आपको पता हैं कि इस ब्रांड के लॉन्च के पीछे जो महान व्यक्ति प्रेरणा स्रोत थे वे कोई और नहीं बल्कि भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू थे? यह सब उस समय शुरू हुआ जब भारत ने अपनी आजादी तुरन्त-तुरन्त हासिल की थी, और उस समय तक भारत की आर्थिक स्थिति एक सामान्य स्तर पर स्थिर भी नहीं हुई थी। नेहरू जी ने इस बात की ओर ध्यान दिया कि कैसे भारतीय महिलाएँ विदेशी सौंदर्य प्रसाधन खरीदने में व्यस्त रहती हैं और जिसके कारण विदेशी अर्थव्यवस्था को सहायता मिलती है। उस समय, भारत में गुणवत्तापूर्ण सौंदर्य उत्पादों के उत्पादन में बहुत कमी थी और भारतीय निर्माताओं की भी कमी थी। इन हालातों पर गौर करते हुए, नेहरू जी ने जे.आर.डी. टाटा, जो नेहरू जी के प्रिय मित्र थे, उन्हें एक सौंदर्य प्रसाधन ब्रांड स्थापित करने और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए आश्वस्त किया। और इस तरह से, भारतीय उपभोक्ताओं की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए लैक्मे का जन्म भारतीय बाजार में हुआ था।

सहयोग की ताकत

1952 में, लैक्मे टॉमको (टाटा ऑयल मिल्स कंपनी) का सहायक ब्रांड बन गया, जो टाटा ग्रुप की एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी थी और जो 1917 में संगठित हुई थी । टॉमको, जिसे शुरू में नारियल के तेल के उत्पादन के लिए जाना जाता था, ने धीरे-धीरे साबुन, डिटर्जेंट, कुकिंग ऑयल, शैंपू, ओउ डी कोलोन, सुगंधित तेल, आदि तक अपने उत्पादनों को विस्तारित किया और अपने उत्पादों में विविधता प्रदान की। इसलिए, कंपनी ने भारतीय बाजार में स्थानीय रूप से निर्मित सौंदर्य प्रसाधनों का लाभ उठाने का अवसर प्राप्त किया और दो प्रतिष्ठित फ्रेंच कंपनियों- रेनॉयर और रॉबर्ट पिगुएट के साथ मिलकर लैक्मे की स्थापना की। इस कोलैबोरेशन या सहयोग का उनका प्रारंभिक उद्देश्य भारत का पहला ‘मेड इन इंडिया’ ब्रांड बनाने का था। यही वह समय था जब लैक्मे नाम का जन्म हुआ। यह लक्ष्मी के लिए फ्रेंच शब्द है। फ्रेंच ब्रांडों के को-पार्टनरों को ब्रांड के लिए एक ऐसे नाम को प्रस्तावित करने के लिए आमंत्रित किया गया था, जो दोनों देशों का अर्थ रखता हो। अंत में, सभी सहयोगी एक सहमति पर पहुँचे और उन्होंने लैक्मे नाम तय किया, जो इसी नाम के एक लोकप्रिय फ्रेंच ओपेरा से प्रेरित था।

भारतीय सौंदर्य में एक नया युग

लैक्मे ने पेड्डर रोड पर किराए की एक कॉम्पैक्ट प्रॉपर्टी में अपना कारोबार शुरू किया था। इसने महिलाओं के लिए हाइजीन केयर लाइन्स के व्यापक स्पेक्ट्रम के साथ भारतीय बाजार में अपनी शुरुआत की। व्यवसाय का विकास जल्द ही फला-फूला और 1960 तक, लैक्मे टॉमको की सेवरी फैक्ट्री में स्थानांतरित हो गया, जो शुरुआती प्लेटफ़ॉर्म से तीन गुना बड़ी थी। कुछ ही समय में, लैक्मे के व्यवसाय की तेजी ने क्वार्टर की मांग के लिए इसे बहुत छोटा साबित किया और एक बड़ी जगह को लिया गया, जिससे दो-शिफ्ट के रोजगार की बढ़त प्राप्त हुई।

1961 में, नवल एच.टाटा की पत्नी सिमोन टाटा ने लैक्मे में मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर कार्यभार संभाला और इस विशाल ब्रांड को सफलता की एक नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, और इसे आज भारत के एक प्रसिद्ध सौंदर्य ब्रांड के रूप में पहचान दिलाई। बाद में वह 1982 में कंपनी की चेयरपर्सन बन गई। लैक्मे ने ग्राहकों की प्राथमिकताओं और फीडबैक के आधार पर, अपने नए उत्पादों में उन्नत अनुसंधान (एडवांस रिसर्च) और विकास के माध्यम से, वर्षों से लगातार अपने पोर्टफोलियो को स्थायी रूप से अपग्रेड करता रहा है। इसके तुरंत बाद, 1980 में, ब्रांड ने अपना पहला विशेष इन-हाउस लैक्मे ब्यूटी सैलून स्थापित किया, जो महिलाओं को प्रमाणित ब्यूटीशियनों द्वारा सभी तरह के सौंदर्य उपचार प्रदान करता था।

बाद में, लैक्मे ने एक कॉस्मेटोलॉजी स्कूल की स्थापना भी की, जो 6 महीने का डिप्लोमा कोर्स ऑफर करता है और यह ब्रांड व्याख्यान प्रस्तुत करने के लिए, ब्यूटीशियनों को प्रशिक्षण देने के लिए, मेकअप डेमो देने के लिए और सौंदर्य समस्याओं का समाधान करने के लिए दुनिया भर में घूमती है। इन वर्षों में, लैक्मे ने हमेशा अपनी क्षमताओं और विशेषताओं को साबित करना जारी रखा और भारतीय सौंदर्य बाजार में घरेलू नाम कमाया है। 1993 में टॉमको के एचयूएल (हिंदुस्तान यूनिलीवर) के साथ मिल जाने के बाद, लैक्मे ने एचयूएल के साथ एक संयुक्त निवेश स्थापित किया, और फिर बाद में 1998 में 200 करोड़ रूपये में अपने ब्रांड को बेच दिया। आज तक, लैक्मे ने अपने बेंचमार्क्स को तोड़ना जारी रखा है, और भारतीय सौंदर्य बाजार में हमेशा आगे रहकर, बाजार के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता आया है।

लैक्मे फैशन वीक

जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, लैक्मे हमेशा वह ब्रांड रहा है जो न केवल सौंदर्य प्रसाधनों के बड़े पैमाने पर उत्पादन तक ही सीमित है, बल्कि ग्लैमर की दुनिया तक भी विस्तारित है। लैक्मे ब्यूटी सैलून से लेकर लैक्मे फैशन वीक और लैक्मे अकादमी तक, लैक्मे ने इन सभी क्षेत्रों में काम किया है और उद्योग में अपनी एक ऊंचाई हासिल की है। लैक्मे फैशन वीक, लैक्मे द्वारा आयोजित एक विशेष फैशन इवेंट है, जिसका आधिकारिक तौर पर उद्घाटन 1999 में हुआ था। इसे वर्ष में दो बार आयोजित किया जाता है, और यह इवेंट मुंबई, महाराष्ट्र में आयोजित किया जाता है। यह मेगा द्विवार्षिक फैशन इवेंट एफडीसीआई (फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया) की देखरेख में आयोजित किया जाता है, जिसका टाइटल स्पॉन्सर लैक्मे होता है।

फैशन वीक के दौरान, उद्योग के शीर्ष मॉडल्स, साथ ही कई ए-लिस्ट बॉलीवुड सितारें और फैशन जगत के प्रसिद्ध जानी मानी हस्तियाँ इस इवेंट की मुख्य रूप से शोभा बढ़ाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में लैक्मे फैशन वीक के मुख्य आकर्षण रहे शोस्टॉपर्स में अर्जुन रामपाल, मलायका अरोरा खान, करीना कपूर खान, ऐश्वर्या राय बच्चन, दीपिका पादुकोण, रश्मिका मंदाना, जीनत अमान, रकुल प्रीत, अबीर एन नानकी, शिल्पा शेट्टी, मोहित राय, सोनाक्षी सिन्हा, मोसेस कौल, सुष्मिता सेन, और भी कई अन्य दिग्गज शामिल हैं। ।

निष्कर्ष

भले ही आज तक लैक्मे के इस प्रतिष्ठित ब्रांड के सफलता के रास्ते में कुछ अनगिनत व्यवधान आए हैं, लेकिन हम इस तथ्य से इनकार नहीं कर सकते हैं कि इस ब्रांड ने भारत में सौंदर्य और कॉस्मेटिक (सौंदर्य प्रसाधन) उत्पादों के इतिहास को पूरी तरह से बदल दिया है और विशेष रूप से महिला आबादी के बीच काफी पहलुओं में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाया हैं। हालाँकि मेबेलिन, गार्नियर, लोरियल, रेवलॉन जैसे कई और बड़े नामों वाले ब्रांड ने 90 की दशक की शुरुआत में सौंदर्य उद्योग में अपना अधिकार बनाया, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि लैक्मे ने ही सफलता के द्वार खोले हैं।

Sweta Sarkar
Anthroponomastics

Sweta Sarkar is a distinguished expert in Anthroponomastics, holding a PhD in Anthropology. Her deep knowledge and research in the field of Anthroponomastics make her a renowned authority on the study of personal names. Sweta's academic achievements and passion for understanding the significance of ... Read More

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